रेटिंग एजेंसी फिच का कहना है कि चालू वर्ष में इस संकट के चलते भारत में ऑटो उत्पादन 8.3 फीसदी गिर सकता है। फिच का कहना है कि चीन में कोरोना संकट के चलते ऑटो कंपनियों को सप्लाई बाधित होने का जोखिम बढ़ गया है। यदि वायरस का असर चीन के बाकी शहरों में भी फैलता है तो घरेलू उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
भारतीय हेल्थकेयर सिस्टम पूरी तरह से तैयार नहीं
एजेंसी का कहना है कि भारत का हेल्थकेयर सिस्टम बड़े पैमाने पर महामारी जैसी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है। फिच का कहना है कि अगर वायरस भारत में फैलता है तो भारतीय ऑटो इंडस्ट्री पर इसका असर काफी व्यापक होगा क्योंकि चीन के मुकाबले भारत में इस वायरस के तेजी से फैलने की संभावना है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार, चीन में जिन शहरों में वायरस का असर है वहां ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरर्स ने प्रोडक्शन रोक दिया है कि जिससे लोगों को एक समूह में आने से रोका जा सके और संभावित संक्रमण को एक दूसरे में फैलने से रोका जा सके। एजेंसी का मानना है कि यदि वायरस का खतरा बढ़ता है, तो भारत भी इस नीति को अपना सकता है।
चीन, भारत के सबसे बड़े ऑटोमोटिव कम्पोनेंट सप्लायर में से एक
फिच का कहना है कि चीन, भारत के सबसे बड़े ऑटोमोटिव कम्पोनेंट सप्लायर में से एक है। ऐसे में चीन में तैयार कल-पुर्जों की कमी होने से भारतीय वाहन उद्योग को उत्पादन की गति को कम करने या बंद करने को बाध्य होना पड़ सकता है। इन कारणों से एजेंसी को 2020 में घरेलू वाहन विनिर्माण में 8.3 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। 2019 में भी इसमें 13.2 प्रतिशत की गिरावट रही थी।
एजेंसी का कहना है कि घरेलू बाजार में नई गाड़ियों की डिमांड कम बनी रहेगी, इस कारण 2020 में भी उत्पादन कम रहेगा। फिच ने कहा कि चीन, भारत के ऑटो कंपोनेंट की जरूरत का 10 से 30 प्रतिशत की पूर्ति करता है। यदि भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग की बातें करें तो यह दो से तीन गुना अधिक हो जाता है। इससे पता चलता है कि भारतीय वाहन उद्योग किस तरह से चीन के कंपोनेंट पर निर्भर है।
फिच ने कहा, कोरोना वायरस के कारण 2020 में भारत में ऑटो उत्पादन 8.3 प्रतिशत गिर सकता है